Shiv Manas Puja-शिव मानस पूजा

शिव मानस पूजा स्तोत्र अर्थ सहित 

शिव मानस पूजा की रचना श्री आदि शंकराचार्य द्वारा भगवान महादेव की स्तुति में की गई है। Shiv Manas Puja भगवान भोलेनाथ की एक अद्भुत प्रशंसा है। शिव मानस पूजा भक्त आतंरिक कल्पना के साथ की जाती है। इसी लिए इसे मानस (मानसिक) पूजा कहा जाता है। भक्त पूजा में लगने वाले सभी सामग्री के साथ सम्पूर्ण पूजा की मानसिक कल्पना के द्वारा करता है, और आधिकारिक पूजा के रूप में भगवान महादेव को समर्पित करता है। यह पूजा एकाग्रता और आंतरिक कल्पना के साथ की जाने वाली महादेव की शक्तिशाली पूजा है जो मनुष्य का मन शुद्ध कर उसे भक्तिभाव से भर देती है। मान्यता है की सावन के पवित्र महीने में शिव मानस पूजा और आराधना करने वाले भक्त भगवान महादेव की कृपा प्राप्त कर दैहिक और भौतिक कष्टों से तुरंत मुक्ति पते है और सुखी जीवन की प्राप्ति करते है।
Shiv Manas Puja-शिव मानस पूजा

Shiv Manas Puja Lyrics

 शिव मानस पूजा स्तोत्र 

 रत्नैः कल्पितमासनं हिलजलैः स्नानंच दिव्याम्बरं 

नानारत्नविभूषितं मृगमदामोदाङ्कितं चन्दनम। 

जातीचम्पक बिल्वपत्ररचित्रं पुष्पं च धूपं तथा 

दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम।।१।।

सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृत पायसं 

भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम। 

शाकानामंयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्वलं 

ताम्बूलं मनसामया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकरू।।२।।

छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शक निर्मलं 

वीणाभेरिमृदङ्ग काहलकला गीतं च नृत्यं तथा। 

साष्टाङ्ग प्रणतिः स्तुतिर्बहुविधा ह्येतत्समस्तं मया 

सङ्कल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो।।३।।

आत्मात्वं गिरिजामतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं 

पुजाते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः। 

 सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्रोत्राणि सर्वा गिरो 

यद्यत्कृर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम।।४।।

करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा। श्रवणनयनजं वामानसंवापराधम 

विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व। जयजय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो।।५।।

 शिव मानस पूजा अर्थ :

हे देव ,हे दयानिधे ,हे पशुपते ,यह रत्ननिर्मित सिंहासन ,शितल जल से स्नान ,नाना रत्न से विभूषित दिव्य वस्त्र ,कस्तूरी आदि गन्ध से समन्वित चन्दन ,जूही ,चम्पा और बिल्वपत्रसे रचित पुष्पांजली तथा धुप और दिप यह सब मानसिक (पूजोपहर )ग्रहण कीजिए। 
मैंने नविन रत्नखण्डोंसे जड़ित सुवर्णपात्र में घृतयुक्त खीर ,दूध और दधिसहीत पांच प्रकार का व्यंजन ,कदलीफल ,शरबत ,अनेकों शाक ,कपुरसे सुवासित और स्वच्छ किया हुआ मिठा जल तथा ताम्बूल ये सब मनके द्वारा ही बनाकर प्रस्तुत किया हैं।हे प्रभु ,कृपया इसे स्विकार किजिये। 
 छत्र ,दो चंवर ,पंखा ,निर्मल दर्पण ,विणा ,भेद ,मृदंग ,दुंदुभि के वाद्य ,गान और नृत्य ,साष्टांग प्रणाम ,नानाविधी स्तुति ये सब मैं संकल्पसे ही आपको समर्पण करता हूँ। हे प्रभु ,मेरी यह पूजा ग्रहण किजिये। 
हे शम्भू ,मेरी आत्मा तुम हो ,बुद्धि पार्वतीजी हैं ,प्राण आपके गण हैं ,शरीर आपका मंदिर है ,संपूर्ण विषयभोगकी रचना आपकी पूजा है ,निद्रा समाधि है ,मेरा चलना -फिरना आपकी परीक्रमा है तथा संपूर्ण शब्द आपके स्त्रोत्र हैं। इस प्रकार जो -जो कार्य करता हूँ ,वह सब आपकी आराधना ही है। 
हाथोंसे ,पैरोंसे ,वाणीसे ,शरीरसे ,कर्मसे ,कर्णोंसे ,नेत्रोंसे अथवा मनसे भी जो अपराध किये हों वे विहित हों अथवा अविहित। उन सबको हे करुणासागर महादेव शंभु। आप क्षमा किजिये। हे महादेव शम्भू ,आपकी जय हो ,जय हो। 


Shiv Manas Puja Video

 

आपने अभी "शिव मानस पूजा" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक स्तोत्र से सबंधित अन्य देवतावों के स्तोत्र निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन स्तोत्र को भी देखें.

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