Bajrang Baan-बजरंग बाण

बजरंग बाण को गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखा गया है और यह श्रीरामचरित्रमानस में महत्त्व पूर्ण स्थान है।यह हमारी रक्षा करता है और सभी भय से मुक्ति दिलाता है।इसे Bajrang Baan के रुप में जाना जाता है।बजरंग बाण एक प्रकार की प्रार्थना है ,जो श्री हनुमानजी को समर्पित है और उनकी कृपा के पाने में बिनती करती है।यह विभिन्न प्रकार के अपशकुन, संकट और बुराई से रक्षा करने की क्षमता रखता है और भक्तों को धर्म ,सुख संतुष्टि और सफलता का आशीर्वाद देता हैं। 

बजरंग बाण का पाठ करने से पूर्व उपासक को नहाकर शुद्ध होना चाहिए और पंथ पूजन के नियमों का पालन करते हुये ध्यान लगाकर इसका पाठ करना चाहिए बजरंग बाण का जाप करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह हनुमानजी की कृपा को प्राप्त करने ,मनोकामना सिद्ध करने ,रोग और दोष से मुक्तता करने में आपकी सहायता करता हैं।
Bajrang Baan-बजरंग बाण

Bajrang Baan Lyrics

।।दोहा।।

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करै सनमान।

तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।

।।चौपाई।।

जय हनुमंत संत-हितकारी। सुनि लीजै प्रभु बिनय हमारी।।

जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।

जैसे कूदि सिंधु के पारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।।

आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका।।

जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।

बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।

अछय कुमार मारि संहारा। लूम  लपेटि लंक को जारा।।

लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई।

अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरजामी।।

जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर हवै दुःख करहु निपाता।।

जय हनुमान जयति बल-सागर। सुर समूह समरथ भट-नागर।।

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीलौ। बैरिहि मारु ब्रज की कीलौ।।

ॐ हीं हीं हीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर-सीसा।।

जय अंजनिकुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता।।

बदन कराल काल -कुल -घातक। राम -सहाय सदा प्रतिपालक।।

भूत ,प्रेत ,पिसाच, निसाचर। अगनि बेताल काल मारी मर।

इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।

सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। रामदूत धरु मारु धाइ कै।

जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा।

पूजा जप तप नेम अचारा। नहि जानक कछु दास तुम्हारा।।

बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाही।।

जनकसुता-हरि-दास कहावौ। ता की सपथ बिलंब न लावौ।।

जय-जय-जय-धुनि होट अकासा।सुमिरत होय दुसह दुख नासा।। 

चरण पकरि ,कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं।।

उठ ,उठ ,चलु ,तोहि राम -दोहाई। पायँ परौं ,कर जोरि मनाई।।

ॐ चम चम चम चम चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु -हनुमंता।।

ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमी पराने खल -दल।

अपने जन को तुरत उबारौ।  सुमिरत होय अनंद हमारौ।।

यह बजरंग -बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै।।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रच्छा करैं प्रान की।

यह बजरंग -बाण जो  जापैं। तासों भूत -प्रेत सब कापैं। 

धूप देय जो जपै हमेसा। ता के तन नहिं रहै कलेसा।।

।।दोहा।।

उर प्रतीति दॄढ़ ,सरन हवै ,पाठ करै धरि ध्यान।।

बाधा सब हर ,करैं सब काम सफल हनुमान।।

सियावर रामचंद्र की जय ।। 

। श्री हनुमान की जय  

 

 Bajrang Baan Video


आपने अभी "बजरंग बाण" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैंइस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक स्त्रोत्र  से सबंधित अन्य देवतावों के स्तोत्र निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन स्तोत्र को भी देखें.

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