Ath Vindheshvari Stotra-अथ विन्ध्येश्वरी स्तोत्र
Ath Vindheshvari Stotra Lyrics
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचन्ड मुण्डखण्डिनी।
बनेरणे प्रकाशिनि भजामि विन्ध्यवासिनी।।
त्रिशूल मुण्ड धरिणी धराविधात हारिणि।
गृहे -गृहे निवासिनी भजामि विन्ध्यवासिनी।।
दरिद्र दुःख हरिणी ,सदा विभूति कारिणी।
वियोग शोक हरिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी।।
लसत्सु लाल लोचनं लतसनवरं प्रदम।
कपाल-शूल धारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी।।
कराब्जदानदाधरां ,शिवा शिवां प्रदायिनी।
वरा-वराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनी।।
ऋषीन्द्र जमिनीप्रदां ,मिधास्य रूप धारिणीं।
जले-स्थले निवासिनीं , भजामि विन्ध्यवासिनीं।।
विशिष्ट शिष्ट कारिणी ,विशाल रूप धारिणी।
महोदरे विलासिनी भजामि विन्ध्यवासिनी।।
पुरंदरादि सेवितां परादिवशंखण्डिताम।
विशुद्व बुद्धिकारिणी भजामि विन्ध्यवासिनी।।
Ath Vindheshvari Stotra Video
आपने अभी "अथ विन्ध्येश्वरी स्तोत्र" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक स्त्रोत्र से सबंधित अन्य देवतावों के स्त्रोत्र निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन स्तोत्र को भी देखें.
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