Shree Rani Satiji Ambashtak-श्री राणी सतीजी अम्बाष्टकम
*Shree Rani Satiji Ambashtak Lyrics*
बाल समय सखि संग रही ,मन मांहि उमंग सों नेह निहारो।
स्नेहलता घर मात पिता ,धन भाग घड़ी मन मांहि बिचारो।।
बोलत अमृत बानि सुबानियों ,जान गई जग तेज उजारो।
को नहिं जानत है जग में ,श्री राणीसती जी नाम तिहारो।१।
संग पति घर आय गी सति ,राह में जंग हुयो अति भारो।
तनधन दास लरे बहु भाँति सू ,वीर गति रण माँय जुभ्कारो।।
लखि तेज कूं शत्रु सैन्य भजि ,पति संग जरी सति रूप निहारो।
को नहिं जानत है जग में ,श्री राणीसती जी नाम तिहारो।२।
देवांङ्गनायें ले विमान खड़ी ,मुस्कान सहित चित चाव निहारो।
कर हार सुमन डिग आन सति ,अति प्रेम सों माल गले बिच डारो।।
भ्कुन्भ्कुनू देश लुभाय गई ,दरसन कर राणा ने जन्म सुधारो।
को नहीं जानत है जग में ,श्री राणीसती जी नाम तिहारो।३।
भक्तन के नित काज सरे ,हित से चित से मन भोति उभारो।
जात जडूला रात जगे ,श्री मात सती निज दास उबारो।।
कोटिक चन्द प्रकाश लखावत ,हो तम नाश सुग्यान पसारो।
को नहीं जानत है जग में ,श्री राणीसती जी नाम तिहारो।४।
दिन कई जन तार दिये ,उपकार किये रुजगार निहारो।
काज सुधार सुसरजन हार ,मेरी ये पुकार पे दास उबारो।।
नैया पतवार तुही करतार ,हर बार घड़ी इक तेरो सहारो।
को नहीं जानत है जग में ,श्री राणीसती जी नाम तिहारो।५।
पूर्ण कला जग जान रही ,है नाम तिहारो बड़ो ही प्यारो।
धन धाम दिये परिवार दिये ,बहु काम किये नर ग्यान विचारो।।
कोटि विघन टारो सगरे ,श्रीमात सती मम बात सुधारो।
को नहीं जानत है जग में ,श्री राणीसती जी नाम तिहारो।६।
और सभी जग रूठे चाहे ,इक आपको रुठनो नहिं गंवारो।
क्लेश हरो मन मोद भरो ,तनकी विपदा सब दूर बिडारो।।
मात मेरी सुन बात सही ,हर बार कही अव बेगी उबारो।
को नहीं जानत है जग में ,श्री राणीसती जी नाम तिहारो।७।
दास तेरा हूं मैं आश लगाये ,उजाश करो शरनागति धारो।
मोहे गरीब को कौन सो कष्ट है ,जो तुम से नहीं जात है टारो।।
बेगी हरो ,ना अब देर करो ,सती मात जो संकट होय हमरो।
को नहीं जानत है जग में ,श्री राणीसती नाम तिहारो।८।
पति संग हिल मिल रही ,मन उमंग है भोति।
खेड़वाल 'गोपी 'कहे सती जागती ज्योति।१।
तन -मन की व्याधा मिटे ,कर्म रेख मिट जाय।
सुत दारा धन सम्पदा ,मिले शान्ति हरशाय।२।
द्वि सहस्त्र अष्टा दशे ,विक्रम सम्वत जान।
प्रथम जेष्ठ कृष्णाष्टमी चन्द्र वार शुभ जान।३।
नित्य नमन करी पाठ ये ,सकल कष्ट टल जाय।
होय प्रसन्न राणी सती ,चार पदारथ पाय।४।
(मात श्री राणी सतीजी की जय )
।। इति श्री राणी सतीजी अम्बाष्टक सम्पूर्णम।।
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