Ek Shloki Bhagwat-एक श्लोकी भागवत
Ek Shloki Bhagwat Arth Sahit
श्लोक :
आदौ देवकी देव गर्भजननं ,गोपी गृहे वर्द्धनम।
माया पूतनिजीव ताप हरणं ,गोवर्ध्दनोध्ण्णम।।
कंसच्छेदनकौरवादिहननं ,कुन्तीसुतापालनम।
एतद श्रीमदभागवत पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम
अच्तुयं केशवं रामनारायणं कृष्ण -दामोदरं वासुदेवं हरिम।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचंद्र भजे।।
अर्थ :
कृष्ण ने देवकी के गर्भ में जन्म लिया ,गोपी -ग्वालों के साथ बड़े हुए,पूतना का संहार किया ,गोवर्धन पर्वत को धारण किया ,कंस का वध किया ,कुंती पुत्र अर्थात पांडवों की रक्षा की ,कौरवों का नाश किया इस प्रकार कृष्ण ने संसार में अपनी लीलाएं रची। यही एक श्लोकि भागवत का सम्पूर्ण अर्थ हैं।
Ek Shloki Bhagwat Video
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