Ek Shloki Ramayan-एक श्लोकी रामायण
Ek Shloki Ramayan Arth Sahit
श्लोक
आदौ राम तपोवनादि गमनं ,हत्वा मृगं कांचनम।
वैदेही हरणं जटायुमरणं ,सुग्रीवसभाषणम।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं ,लंकापुरीदाहनम।
पश्चाद रावण कुम्भकर्ण हननम ,एतद्धि रामायणम।।
अर्थ :
भगवान
श्री राम का प्राकट्य अयोध्या धाम में हुआ ,मर्यादा पुरुषोत्तम अपनी लीला
करते हुए वन को गए ,वन में सोने के मृग का वध किया जहाँ पर माँ सीता का
रावण द्वारा हरण किया गया जटायु का उधार किया परमात्मा ने सुग्रीव से श्री
हनुमान जी के माध्यम से मित्रता हुई। बाली का वध किया और श्री हनुमान जी
द्वारा लंकादहन किया गया। सौ योजन के समुद्र पर सेतु बनाकर पूरी वानर सेना
के साथ लंका नगरी पहुंचे जहाँ पर घनघोर संग्राम हुआ। कुम्भकर्ण रावण आदि
समस्त राक्षसों का नारायण ने अपनी लीला करते हुए उधार किया। पुनः अयोध्या
धाम पधारे माँ सीता मैया लक्ष्मण के सहित और भगवान का गुरुवशिष्ठ आदि
ऋषियों द्वारा राज्याभिषेक किया गया। यही पूरी रामायण का संक्षिप्त सार
हैं।
।।जय सीया राम।।
Ek Shloki Ramayan Video
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