Ram Bhajan Tu Karle Prani-राम भजन तु करले प्राणी
Ram Bhajan Tu Karle Prani Lyrics
राम भजन तन नही सुहावे जिवडा काठो काठोरे।
आलस में युं उमर बितावे बिना भाव को भाटोरे।
पर निंदा रुच रुच कर गावे हरीनाम लागे खाटोरे।
मधुर बोल मुखसे ना निकले लडबाने तो सांटोरे।
राम कथा थारे मन नही भावे देवे कान में दाटो रे।
हरी मंदीर थारो पग ना उठे पडे पांवमे आंटोरे।
भुका ने तुं कभी ना घाले एक रोटीको आटोरे।
धाया के लारे पडजावे धर जमीन ने पाटोरे।
वास बरत तुं कभी ना करे खावे घी को बाटयोरे।
थारी जीभ चटोकडी ह आ चाहे नितको चाटोरे।
खेल तमाशामें काडे अठ बिरथा जमारों कटयोरे।
दान धर्म सतकर्म ना जाने हरी भजन न नाटयोरे।
अब तो चेत भजन करले तु मालक सुं होसी गांठोरे।
मनुष्य जन्मको अर्थ ना जाण्यो इतनो कांई छे माठोरे।
थारा दुर्गुण लितना लिखता खतम हो गयो पाठोरे।
अंत काल पछतासी प्यारा ,पडसी जम को लाठोरे।
मनुष्य थारा दुर्गुणा सुं मालीक को मन फाटयोरे।
राम धणी की शरणमे जा अवगुण के लगादे कांटोरे।
आपने अभी भजन "राम भजन तु करले प्राणी" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक भजन से सबंधित अन्य भजन निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन भजन को भी देखें.
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