Uth Jaag Musafir Bhor Bhai-उठ जाग मुसाफिर भोर भई
उठ जाग मुसाफिर भोर भई एक प्रसिद्ध हिंदी भजन है, जिसकी रचना विश्व
प्रसिद्ध संत कबीर द्वारा की गई है। भजन में कबीर जी कहते हैं की जीवन एक
सफर है और हमें अपने लक्ष्य के प्रति जागृत रहना चाहिए पर हम हर रोज
अधिकांश समय को सोने की इच्छा में बिता देते है। Uth Jaag Musafir Bhor Bhai भजन हमें कार्यशील जीवन
जीने के लिए प्रेरित करता है और मुश्किल समयों में आगे बढ़ने के लिए
प्रोत्साहित करता है। यह भजन एक मार्गदर्शक है जो हमें सच्ची ख्याति,
खुशहाली और आत्मनिर्भरता की और ले जाता है। कबीर जी कहते हैं की अगर हम
जीवन के सूक्ष्म पहलुओं को समझने का प्रयास करते हैं, तो हमें वास्तविक
ज्ञान प्राप्त होता है और हमें शांति, सुख और स्वयं की पहचान मिलती है।
Uth Jaag Musafir Bhor Bhai Lyrics
उठ जाग मुसाफिर भोर भई ,
अब रैन कहाँ जो सोवत है।
जो जागत है सो पावत है ,
जो सोवत हैं सो खोवत है।।टेर।।
उठ नींद से अंखियाँ खोल जरा ,
और अपने प्रभु में ध्यान लगा।
यह प्रीति करन की रीती नहीं ,
प्रभु जागत है तू सोवत है।। उठ जाग मुसाफिर भोर भई .......
जो कल करना हो आज करले ,
जो आज करना है अब करले।
जब चिड़ियों ने खेत चुग लिया ,
फिर पछताये क्या होवत है।।उठ जाग मुसाफिर भोर भई .......
नादान भुगत करनी अपनी ,
और पापी पाप में चैन कहाँ।
जब पाप की गठरी सीस धरी ,
फिर सीस पकड़ क्यों रोवत है।। उठ जाग मुसाफिर भोर भई .......
Uth Jaag Musafir Bhor Bhai Video
आपने अभी भजन "उठ जाग मुसाफिर भोर भई" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक भजन से सबंधित अन्य भजन निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन भजन को भी देखें.
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