Shree Shyam Dukh Bhanjan Ashtak-श्री श्याम दुःख भंजन अष्टक

श्री श्याम दुःख भंजन अष्टक बहुत ही प्रसिद्ध आराधना स्तोत्र है जो भगवान श्याम की महिमा को व्यक्त करता है। Shree Shyam Dukh Bhanjan Ashtak में बाबा श्याम की इस्तुति करते हुए भगवान श्री कृष्ण को पुकारा जाता है। इस अष्टक का भक्तिपूर्ण भाव से पाठ करनेसे भक्त पर बाबा श्याम की कृपा बरसती है। 
Shree Shyam Dukh Bhanjan Ashtak-श्री श्याम दुःख भंजन अष्टक

Shree Shyam Dukh Bhanjan Ashtak Lyrics

*श्री श्याम दुःख -भंजनाष्टक *

 युध्द समय दुई पक्ष जुरै जब ,बाण प्रताप जो तुम दिखरायो। 

ताहि सो त्रास भयो सबको ,यह बीर अजेय कहाँ ते है आयो।।

माँगि लियो जब शीश हरि करि मोड दियो नहीं नेंकु संकारो। 

को नहीं जानत है जग में ,तव नाम महादु:खभंजन हारो।।१।।

 

संकट मे जब भक्त परे कोई ,श्यामहि श्याम रटे जो विचारो। 

नील तुरंग सवार महाप्रभु ,आई है ताकि को संकट हारो।।

संकटग्रस्त बचाये किते जन ,मोहिं भी आनिके बेगि उबारो।।

को नहीं जानत है जग में ,तव नाम महादुःखभंजन हरो।।२।।

 

धाई के कोई मनोरथ ले कछु ,श्यामजी आन गहे तेरे द्वारो। 

आरत बैन कहे जो निरंतर ,तेरो हूँ नाथ न और सहरो।।

ऐसी दुःख अरु सुभक्त को ,हाथ पकरि प्रभु आप उबारो।।

को नहीं जानत है जग में ,तव नाम महादुःखभंजन हारो।।३।।

 

चौरस झास दई जनको जब ,"जात्री "जु आवत ले उपहारो। 

लुटिकैमाल ज्यों जान लगे तब अंध भये नहीं राह सुझारो।।

त्राहि करि जब माल दियो सब पायो महादुःख ते छुटकारो। 

को नहीं जानत है जग में ,तव नाम महादुःखभंजन हारो।।४।।

 

नौरंगशाह अनीति करि जब ,मन्दिर तें सब देव उखारौ। 

ताहि समय निज रूप अलौपि कै ,लीन हुए प्रभु कूप मंझारौ।।

पाइ समय पुनि स्वप्न दरस दै ,"श्याम कुण्ड "में नव तनुधारौ। 

को नहीं जानत है जग में ,तव नाम महादुःखभंजन हारो।।५।।

 

देवी पहाड चढी भयतें जब ठौर नहीं बचने को जु पायो। 

भैरव भागत भागत ही तब ,ठौर न एक बसै भय खायो।।

श्याम तुम्ही सब की पत राखी ओटी सबै खल -अस्त्र प्रहारो। 

को नहीं जानत है जग में ,तव नाम महादुःखभंजन हारो।।६।।

 

जो रि के हाथ अरु शीश झुकाकरी ,भेंट चढा फल इष्ट विचारौ। 

पावन चित्त से ध्यान करै अरु ,आरत हवै तव नाम पुकारै।।

वेगि मनोरथ पूर्ण होहिं तब ,ऐसो प्रताप है तव उजियारो। 

को नहीं जानत है जग में ,तव नाम महादुःखभंजन हारो।।७।।

 

काज किये सब भक्तन के तुम ,श्याम महाप्रभु देखि विचारो।।

कौन सो कष्ट है मोर गरीब को ,जो तुमसे नहीं जात है टारो।।

बेगि हरो श्री श्याम महाप्रभु ,जो कछूसंकट होय हमरो। 

को नहीं जानत है जग में ,तव नाम महादुःखभंजन हारो।।८।।

 

श्याम देह ज्योति लसै ,कुण्डल शोभित रूप। 

दिव्य देह ,दरिद्र दलन ,जै जै श्याम सुर भूप।।

 

आपने अभी "श्री श्याम दुःख भंजन अष्टक" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैंइस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक स्त्रोत्र  से सबंधित अन्य देवतावों के स्तोत्र निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन स्तोत्र को भी देखें.

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