Shree Durga Chalisa-श्री दुर्गा चालीसा
श्री दुर्गा चालीसा माता दुर्गा जी की पूजा के लिए गायी जाने वाली चालीसा है। यह चालीसा ४० श्लोकों से मिलकर बनी हुई है। Shree Durga Chalisa में माता दुर्गा की प्रशंसा की गई है और उनके १०८ नामों का जाप किया गया है। श्री दुर्गा चालीसा भक्तों द्वारा माँ दुर्गा की पूजा के दौरान रोजाना पढ़ा जाता है। श्री दुर्गा चालीसा में प्रमुख रूप से माँ दुर्गा की सभी अवतारों का कथन किया गया है।
इस चालीसा का पाठ करने से माता दुर्गा की कृपा हमेशा बनी रहती है और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। इस चालीसा को रोजाना पाठ करने से मनोकामना पूरी होती है। श्री दुर्गा चालीसा का पठन करने से रोगों और दुष्ट शक्तियों से बचाव होता है और पाप दूर होते हैं और सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है । श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने से बुराई से बचाव होता है, माता की कृपा से विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। माँ दुर्गा शक्ति प्रदायिनी माता है। यह चालीसा भक्तों को भय ,क्रोध और भ्रम से मुक्त करने में मदद करती है और उन्हें शक्तिशाली बनाती है।Shree Durga Chalisa Lyrics
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुख:हरनी।।
निराकार है ज्योति तुम्हारी। तिहुँ लोक फैली उजियारी।।
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटी विकराला।।
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे।।
तुम संसार शक्ति लय किना। पालन हेतु अन्न धन दीना।।
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला।।
प्रलय काल सब नाशन हरी। तुम गौरी शिव शंकर प्यारी।।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावैं।।
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।
धरा रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़ कर खम्बा।।
रक्षा करि प्रहलाद बचायो। हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो।।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं।।
क्षीरसिंधु में करत विलासा। दयासिंधु दीजै मन आसा।।
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी।।
मातंगी धूमावती माता। भुवनेश्वरि बगला सुख दाता।।
श्री भैरव तारा जग तारिणी। क्षिन्न लाल भव दुःख निवारिणी।।
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी।।
कर में खप्पर खड़ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै।।
सोहे अस्त्र और त्रिसूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला।।
नगरकोटि में तुम्हीं विराजत। तिहुँ लोक में डंका बाजत।।
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्त बीज शंखन संहारे।।
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी।।
रूप कराल काली को धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा।।
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब।।
अमरपुरी औरों सब लोका। तब महिमा सब रहे अशोका।।
बाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर नारी।।
प्रेम भक्ति से जो जस गावै। दुःख दरिद्र निकट नहीं आवै।।
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म मरण ताको छुट जाई।।
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी।।
शंकर आचरज तप कीनो। काम क्रोध जीती सब लीनो।।
निशि दिन ध्यान धरो शंकर को। काहू काल नहि सुमिरो तुमको।।
शक्ति रूप को मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो।।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जै जै जै जगदंब भवानी।।
भई प्रसन्न आदि जगदंबा। दई शक्ति नहि किन विलंबा।।
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो।।
आशा तृष्णा निपट सतावै। रिपु मुख मोहे अति डर पावें।।
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौ इकचित तुम्हें भवानी।।
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि सिद्धि दे करहु निहाला।।
जब लागि जियौ दया फल पाऊँ। तुम्हरो जस मैं सदा सुनाऊँ।।
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।सब सुख भोग परम पद पावै।।
देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदंब भवानी।।
।।इति श्री दुर्गा चालीसा समाप्त।।
Shree Durga Chalisa Video
आपने अभी "श्री दुर्गा चालीसा" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक चालीसा से सबंधित अन्य देवतावों की चालीसा निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन चालीसा को भी देखें.
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