Vindheshwari Chalisa-विन्धेश्वरी चालीसा

 विन्धेश्वरी चालीसा, विंध्याचल पर्वत श्रृंगराज मंदिर की प्रमुख पूजाआरती है। Vindheshwari Chalisa में माता विन्धेश्वरी की महिमा और अनंत कृपा का वर्णन किया गया है। इसे पढ़कर विश्वासी भक्त अपने मनोकामना पूर्ति और बुराइयों से मुक्ति की कामना करते हैं। विन्धेश्वरी चालीसा का नित्य पाठ करने से भक्तों की अपनी संतान की प्राप्ति और सुख संपत्ति जैसी मनोकामना पूर्ण होती हैं।

विन्धेश्वरी चालीसा का जप करने के लिए भक्त को सबसे पहले माता विन्धेश्वरी की पूजा और "जय माता विन्धेश्वरी" का जप करना चाहिए। फिर उसे १०८ बार चालीसा का जप करना चाहिए। चालीसा को पढ़ने के बाद भक्त को माता विन्धेश्वरी की आरती करनी चाहिए। 

विन्धेश्वरी चालीसा का पाठ करने से भक्तों की श्रद्धा में वृद्धि होती है और इससे माता विन्धेश्वरी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। चालीसा का नियमित जप धारण करने से भक्त की जीवन में सुख शांति बनी रहती है और किसी भी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होती हैं।
Vindheshwari Chalisa-विन्धेश्वरी चालीसा

 Vindheshwari Chalisa Lyrics

।।दोहा।। 

नमो नमो विन्धेश्वरी ,नमो नमो जगदम्ब।

सन्त जनों के काज में ,करती नहीं विलम्ब।।

 

जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदि शक्ति जग विदित भवानी।।

सिंह वाहिनी जय जय जगमाता। जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता।।

कष्ट निवारिनि जय जग देवी। जै जै सन्त असुर सुर देवी।।

महिमा अमित अपार तुम्हारी। शेष सहस मुख वर्णत हरी।।

दीनन के दुख हरत भवानी। नहि देख्यो तुम सम कोउ दानी।।

सब कर मनसा पुरवत माता। महिमा अमित जगत विख्याता। 

जो जन ध्यान तुम्हारी लावै। सो तुरतहिं वांछित फल पावै।।

तू ही वैष्णवी तू ही रुद्रानी। तू ही शारदा अरु ब्रह्मनी।।

रमा राधिका श्यामा काली। तू ही मातु सन्तन प्रतिपाली।।

उमा माधवी चण्डी ज्वाला। बेगि मोहि पर होहु दयाला।।

तू ही हिंगलाज महारानी। तू ही शीतला अरु विज्ञानी।।

दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता। तू ही लक्ष्मी जग सुख दाता।।

तू ही जाहन्वी अरु उत्रानी। हेमावती अम्बे निर्वानी।।

अष्टभुजी वाराहिनी देवा। करत विष्णु शिव जाकर सेवा।।

चौसट्टी देवी कल्यानी। गौरी मंगल सब गुण खानी।।

पाटन मुम्बा दन्त कुमारी।भद्रकालि सुन विनय हमारी।।

बज्र धारिणी शोक नाशिनी। आयु रक्षिवि विंध्यवासिनी।।

जया और विजया बैताली। माता संकटी अरु विकृाली।।

नाम अनन्त तुम्हार भवानी। वरनै किमि मानुष अज्ञानी।।

जापर कृपा मातु मात होई। तो वह करै चहै मन जोई।।

कृपा करहु मोपर महारानी। सिद्ध करिय अब यह मम बानी।।

जो नर धरै मात कर ध्याना। ताकर सदा होय कल्याना।।

विपति ताहि सपने नहिं आवे। जो देवी का जाप करावे।।

जो नर कहँ ऋण होय अपारा। सो नर पाठ करे शतबारा।।

निश्चय ऋणमोचन होई जाई। जो नर पाठ करे मन लाई।।

अस्तुति जो नर पढ़े पढ़ावै। या जग में सो वहसुख पावै।।

जाको व्याधि सतावै भाई। जाप करत सब दूर पराई।।

जो नर अति बन्दी महं होई। बारह हजार पाठ कर सोई।।

निश्चय बन्दी ते छुटि जाई। सत्य वचन मम मानहु भाई।।

जापर जो कुछ संकट होई। निश्चय देविहिं सुमिरे सोई।।

जा कहं पुत्र होय नहिं भाई। सो नर या विधि करे उपाई।।

पांच वर्ष सो पाठ करावे। नौरातर महँ विप्र जिमावे।।

निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी। पुत्र देहिं ताकहं गुण खानी।।

ध्वजा नारियल आनि चढ़ावे। विधि समेत पूजन करवावे। 

नित प्रति पाठ करे मन लाई। प्रेम सहित नहिं आन उपाई।।

यह श्री विन्ध्याचल चालीसा। रंक पढ़त होवे अवनीसा।।

यह जनि अचरज मनहुं भाई। कृपा दॄष्टि जापर हुई जाई।।

जै जै जै जग मात भवानी। कृपा करहु मोहि पर जन जानी।।

 

 Vindheshwari Chalisa Video


आपने अभी "विन्धेश्वरी चालीसा" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैंइस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक चालीसा से सबंधित अन्य देवतावों की चालीसा निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन चालीसा को भी देखें.

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