Shriman Narayan Naam Sankirtan-श्रीमन्नारायण नाम संकीर्तन
Shriman Narayan Naam Sankirtan Lyrics
श्रीमन्नारायण नाम संकीर्तन
विष्णु पुराण भागवत गीता ,बालमीकजी की रामायण श्री०।१।
चारिहु वेद पुराण अष्टादश ,वेद व्यासजी की पारायण श्री०।२।
शिव सनकादि आदि ब्रह्मादिक ,सुमिर सुमिर भव पारायण श्री०।३।
श्यामलगात पिताम्बर सोहे ,विप्रचरण उरधारायण श्री०।४।
नारायण के चरण कमल पर ,कोटिकाम छविवारायण श्री०।५।
शंक चक्र गदा पदम विराजे ,गले कौस्तुभ मणिधारायण श्री०।६।
खम्भ फाड़ हिरणाकुश मारे ,भक्त प्रहलाद उबारायण श्री०।७।
कश्यप ऋृषि से वामन होके ,दण्डकमण्डलु धारायण श्री०।८।
वामन होय बलिराजा छलियो तिरलोकी उद्धारायण श्री०।९।
बलि से याच तीन पद पृश्वी ,रुपत्रिविक्रम धारायण श्री०।१०।
गज और ग्राह लड़े जल भीतर ,लड़त लड़त गज हारायण श्री०।११।
जौ भर सूंड रही जल बाहिर ,तब हरिनाम उचारायण श्री०।१२।
गज की टेर सुनि रघुनन्दन ,आप पधारे नारायण श्री०।१३।
जल डूबत गजराज उबारे ,श्रीचक्र सुदर्शन धारायण श्री०।१४।
सरयू के तीर अयोध्या नगरी ,श्रीरामचन्द्र अवतारायण श्री०।१५।
क्रीट मुकुट मकराकृत कुण्डल अद्भुत शोभा धारायण श्री०।१६।
राम लक्ष्मण भरत शत्रुहन ,चार रूप तनु धारायण श्री०।१७।
सरयू तीरे तुरंग नचावें ,धनुषबाण कर धारायण श्री०।१८।
कोमल गात पीतांम्बर सोहे ,उर वैजन्ती धारायण श्री०।१९।
बकसर जाय ताड़का मारी ,मुनि के यज्ञ किये पारायण श्री०।२०।
गौतम ऋृषि की नारि अहिल्या ,शापशीला उद्धारायण श्री०।२१।
स्पर्शत चरण शिला भई सुन्दर ,बैठ विमान भई पारायण श्री०।२२।
जाय जनकपुर धनुष उठायो भूप जनक प्रण सारायण श्री०।२३।
जनक स्वयम्बर पावन कीन्हों ,वरमाला हरिधारायण श्री०।२४।
रामसिया की होत भांवरी ,देवसुमन वर्षारायण श्री०।२५।
सीता ब्याह राम घर आये ,घर -घर मङगला -चारायण श्री०।२६।
मात कौसल्या करत आरती त्रिभुवन मंगल कारायण श्री०।२७।
मात -पिता की आज्ञा पाई ,चित्रकूट पगधारायण श्री०।२८।
चौदह बरसवास वन किन्हों ,सुर -नर मुनिहित कारायण श्री०।२९।
दण्डकबन प्रभु पावन किन्हों ,ऋृषि -मुनि त्रास मिटारायण श्री०।३०।
ऋृषि -मुनि को दर्शन देकर के ,पंचवटी पगधारायण श्री०।३१।
भोजपत्र की कुटि बनाई ,मृगमारिच को मारायण श्री०।३२।
यति को रूप धरयो रावण ने ,सीता हर लेजारायण श्री०।३३।
पंपा जाय बलिको मारयो ,सुग्रीव को शोक निवारायण श्री०।३४।
वायुपुत्र से खबर मंगाई ,लङका दहन करारायण श्री०।३५।
सागर ऊपर शिला तराई ,कपिदल पार उतारायण श्री०।३६।
रावण के दस मस्तक छेदे ,राज विभीषण पारायण श्री०।३७।
आयो शरण विभीषण जब ही राजतिलक प्रभुसारायण श्री०।३८।
राम रूप होई रावण मारयो भक्त विभीषण तारायण श्री०।३९।
राक्षण वंश विनाश कियो है भू को भार उतारायण श्री०।४०।
लंका जीत राम घर आये राज तिलक प्रभुधारायण श्री०।४१।
यमुना के तट मथुरा नगरी कृष्णचन्द्र अवतारायण श्री०।४२।
मथुरा में हरि जन्म लियो है गोकुल में पगधारायण श्री०।४३।
बालपने हरि ,पुतनामारी जननीकी गति पारायण श्री०।४४।
बालपने मुखमटीया खाई तीनलोक दरसारायण श्री०।४५।
मात यशोदा ऊखलबाँधे ,यमला -अर्जुन तारायण श्री०।४६।
मोरमुकुट पीताम्बर सोहे ,श्रवणन कुण्डल धारायण श्री०।४७।
यमुना के तट धेनु चरावे , मुखपर मुरली धारायण श्री०।४८।
पैठ पताल कलिनाग नाथ्यो फणफण नृत्य करारायण श्री०।४९।
चरणचिन्ह मस्तक पर धरकर गरुडत्रास मिटारायण श्री०।५०।
वृन्दावन में रासरच्यो है सहस्त्र गोपी इक नारायण श्री०।५१।
मेघवा कोप कियो ब्रज ऊपर बरसत मुसलधारायण श्री०।५२।
डूबत ही वृज राखलियो है नखपर गिरिवर धारायण श्री०।५३।
चन्दन लेपले कूबड़ मिटायो भक्त के आनन्द कारायण श्री०।५४।
धनुष यज्ञ में आप पधारे मुष्टिक चाणूर मारायण श्री०।५५।
मात -पिता की बन्द छुड़ाई मामा कंस को मारायण श्री०।५६।
कृष्णरूप होय कंस पछाडयो उग्रसेन कुल तारायण श्री०।५७।
उग्रसेन को राजतिलक दियो द्वार वेद कर धारायण श्री०।५८।
दुर्वास ऋृषि के भय से नृप अम्बरिष उद्धारायण श्री०।५९।
कालयवन को नाश कराकर द्वारिका पगधारायण श्री०।६०।
दुपद -सुता को चीर बढ़ायो दुष्ट दुःशासन हारायण श्री०।६१।
दुर्योधन के मेवा त्यागे शाक विदुर घर पारायण श्री०।६२।
शबरि के बेर सुदामा के चांवल रूचि रूचि भोग लगारायण श्री०।६३।
अजामेल सुत हेतु पुकारे नाम लेत अघतारायण श्री०।६४।
अजामेल गजगणिका तारी ऐसे पतित उदारायण श्री०।६५।
विप्र सुदामा फिरे दुःखित होय ,कंचन महल करारायण श्री०।६६।
मीरा की भक्ती के कारण ,जहर हलाहल धारायण श्री०।६७।
पृथु -रूप धर भू को दूही ,प्रजा हेतु कारायण श्री०।६८।
शेषाचल पर खड़े दरशदे मनवांछित फल पारायण श्री०।६९।
शेषाचल पर आय विराजे वेंकटेश अवतारायण श्री०।७०।
विष्णुलोक में श्री देवीकूँ मंत्र द्वय उच्चारायण श्री०।७१।
निरहेतुक जग रचना करके ,भव सागर उद्धारायण श्री०।७२।
सनक सनंदन सनत्कुमार के चार रूप तनु धारायण श्री०।७३।
वरदराज होय कांची विराजे ब्रह्माकारज सारायण श्री०।७४।
प्रथम पुत्र ब्रह्म को सिरजे ,वेद मंत्र उच्चारायण श्री०।७५।
हयग्रीव होय वेद को लाये ,ब्रह्म कष्ट निवारायण श्री०।७६।
परंपद छांड़ि के क्षिराब्धि आये जग रचना के कारायण श्री०।७७।
ब्रह्मा को उपदेश्यो जाकर ,हंसरूपधरि नारायण श्री०।७८।
नारदमुनि को रुपधारकर भक्ति हेतु परचारायण श्री०।७९।
बद्रीआश्रम आप बिराजे ,नरनारायण अवतारायण श्री०।८०।
दैत्य को मार भूमि को लाये वराहरूप को धारायण श्री०।८१।
भृगु -पद -चिन्ह हिये धरकर के सात्विकता दर -शारायण श्री०।८२।
सागर मथकर रत्न निकले देवनकारज सारायण श्री०।८३।
मंदराचल को धारण कीनो कच्छरूप होई तारायण श्री०।८४।
देवन अमृत पान करायो ,मोहनि रूप को धारायण श्री०।८५।
बद्री आश्रम ध्यान लगाये अष्टाक्षर उच्चारायण श्री०।८६।
कांवेरी बिज शयन किये हैं श्री रंगरूप को धारायण श्री०।८७।
कूर्म होय ब्रह्मावर दीन्हो श्रीरंगरुप को धारायण श्री०।८८।
वक्षस्थल श्री लक्ष्मी राजे भुनीला हरिनारायण श्री०।८९।
गीता ज्ञान दियो अर्जुंन को ,विश्वरूप दरशारायण श्री०।९०।
वेदशास्त्र भारत रामायण ,सभी गाये श्री नारायण श्री०।९१।
सांख्य शास्त्र विस्तार हेतु प्रभु ,कपिल देव अवतारायण श्री०।९२।
भूतपुरी मे शेष प्रकट भये ,रामानुज अवतारायण श्री०।९३।
चरम मंत्र को भारत में प्रभु जगत -हेतु उच्चारायण श्री०।९४।
श्रीपुष्कर में प्रकट भये प्रभु ,कमल -नयन अवतारायण श्री०।९५।
रामानुज यति राज गुरोवर ,भवसागर से पारायण श्री०।९६।
जय रामानुज जय यतिराज आदि शेष अवतारायण श्री०।९७।
दिव्य गुणों का अन्त नहीं है ,शेष न पाते पारायण श्री०।९८।
जहँ -जहँ भीड़ पड़ी भक्तन पर ,तहँ -तहँ कारज सारायण श्री०।९९।
शालिगराम रूप धर हरिजी ,घर -घर प्रकटे नारायण श्री०।१००।
कलियुग में प्रभु आप प्रकट भये ,सत्य रूप अवतारायण श्री०।१०१।
नित्य प्रेम से सुनें सुनावें ,कुटुम्ब सहित उद्धारायण श्री०।१०२।
गाई कीर्ति दास हरि -पद की ,जगत हेतु उद्धारायण श्री०।१०३।
जड चेतन के अंतर्यामी ,अखिल लोकहित कारायण श्री०।१०४।
जो नारायण नाम लेत हैं पापहोत सब छारायण श्री०।१०५।
जो कोइ भक्ति करे माधव की मातपिता कुल तारायण श्री०।१०६।
माधवदास आश रघुवर की भव सागर भये पारायण श्री०।१०७।
ना जाने किस रूप में राम -कृष्ण मिलजाय। श्रीलक्ष्मी नारायण भगवान की जय। श्रीगोपाललालजी की जय। श्रीसत्यनारायण भगवान की जय। श्रीवेंकटेश भगवान की जय। श्रीगोदारंगनाथ भगवान की जय। श्रीभाष्यकार रामानुजाचार्य स्वामीजी महाराज की जय। श्रीस्वामीजी महाराज समस्त भागवत मंडली की जय।
जय जय यतिराज फणिराज अवतार मणी ,प्रबल पाखंड
तमो हरण -भानो। विजयी भव। विजयी भव -२।।
श्री अष्टाक्षर
।।ओमनमोनारायणाय।।
शरणागती मंत्र
श्रीमन्नारायण चरणौ शरणं प्रपद्ये ,
श्रीमते नारायणायनमः।।
चरम मंत्र
सर्वधर्मान परित्यज्य ,मामेक शरण वृज।
अहंत्वां सर्व पापेभ्यो नाशयिष्यामि मा शुचः।।
गायत्री मंत्र
ओं भूर्भुंव्ः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमही धियो यो नः प्रचोदयात।।
Shriman Narayan Naam Sankirtan Video
आपने अभी भजन "श्रीमन्नारायण नाम संकीर्तन" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक भजन से सबंधित अन्य भजन निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन भजन को भी देखें.
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