Shani Dev Aarti-शनि देव आरती 

शनि देव ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। शनि देव को तामसिक और कर्म कारक ग्रह माना जाता है, जिसका प्रभाव ढाई साल तक रहता है। शनि भगवान को संसार में दंड देने वाले देवता के रूप में भी जाना जाता है, जो लोगों को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। शनि की अशुभ स्थिति जीवन में कठिनाईयां बढ़ाती है। शनि देव जब किसी व्यक्ति पर अधिक प्रभावी होते हैं, तो वह व्यक्ति के सफलता के मार्ग में बाधा पाता है और उसके जीवन में रुकावटें आती हैं। शनि देव की कृपा से इंसान रंक से राजा बन जाता है। शनि देव के आशीर्वाद से सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। (Shani Dev Aarti)

शनि देव की पूजा हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व रखती है, जिसमे सोलह उपवासों का आयोजन भी किया जाता है। इसके माध्यम से अनेकों बुरी दशाओं का निवारण किया जाता है। लोग शनि देव को विशेष महत्त्व देते है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए शनि देव की आरती पढ़ते हैं।
Shani Dev Aarti-शनि देव आरती

Shani Dev Aarti Lyrics

(श्री शनैश्र्वराची आरती )

जय जय श्रीशनिदेवा। पद्मकर शिरीं ठेवा।। 

आरती ओंवाळितों। मनोभावें करुनी सेवा।। जय ०।।ध्रु.।।

 

सूर्यसुता शनीमूर्ति। तुझी अगाध कीर्ती।। 

एकमुखें काय वर्णूं। शेष न चले स्फूर्ति।। जय ०।।१।।

 

नवग्रहांमाजी श्रेष्ठ। पराक्रम थोर तुझा।। 

ज्यावरी तूं कृपा करिशी। होय रंकाचा राजा।। जय ०।।२।।

 

विक्रमासारिखा हो। शककर्ता पुण्यराशी। 

गर्व धरितां शिक्षा केली बहुत छळियेलें त्यासी।। जय ०।।३।।

 

शंकराच्या वरदानें। गर्व रावणें केला।। 

साडेसाती येतां त्यासी। समूळ नाशासि नेला।। जय ०।।४।।

 

प्रत्यक्ष गुरुनाथा। चमत्कार दावियेला।। 

नेऊनि शुळापाशीं। पुन्हां सन्मान केला।। जय ०।।५।।

 

ऐसे गुण किती गाऊं। धणी न पुरे गातां।। 

कृपा करीं दिनावरी महाराजा समर्था।। जय ०।।६।।

 

दोन्ही कर जोडोनियां। रखमा लीन सदा पायीं।। 

प्रसाद हाचि मागे। उदयकाळ सौख्य दावी।।

जय जय श्रीशनिदेवा। पद्मकर शिरीं ठेवा।।

आरती ओवाळितों। मनोभावें करुनी सेवा।।७।।

 

Shani Dev Aarti Video


आपने अभी "शनि देव आरती" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं,इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक आरती से सबंधित अन्य आरतीया निचे दि गई हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगेकृपया करके इन आरतियो को भी देखें.

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