Aarti Shri Rani Satiji-आरती श्री राणी सतीजी
Aarti Shri Rani Satiji Lyrics
तर्ज -(आरती श्री रामायण जी की )
आरती श्री राणी सतीजी ,बन्दनीय सुर सजन गुनिये की।।आरती ०।।
गावत ब्रहमा आदि सुरनायक ,
सेश शारदा कवि यस गायक।
सती अनसूया पति गुण दायक ,
धर्म सनातन सुधा रमन की।१।
ॠग्य आदि वेद बखाने ,
अष्टादश पुराण पुलकाने।
पतिव्रत नियम सत्य जग जाने ,
वरणी न जाय कीरति सुमन की। २।
सचि सुवर्च्चला अरुन्धती ,
लोपामुद्रा सुकन्या श्रीमती।
मदयति दमयंती सावित्री ,
सीता आदि सती सुगती की। ३।
मंगल मंजु विमल जग तरनी ,
सति सरिता सैम सम कलि मल हरनी।।
जननि विविध दोष सम करनी ,
प्रणित पाल गोपी सबीकी।४।
आरती श्री राणीसतीजी की
बन्दनीय सुरसजन गुनिये की।।
आपने अभी "आरती श्री राणी सतीजी" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक आरती से सबंधित अन्य आरतीया निचे दि गई हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन आरतियो को भी देखें.
आपको यह पोस्ट भी पसंद आ सकती हैं
- कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें। आपके अमूल्य विचार हमें इस कार्य में प्रेरना प्रदान कर सकते हैं।