Jai Ho Sunder Shyam Hamare-जय हो सुंदर श्याम हमारे
जय हो सुंदर श्याम हमारे भगवान श्याम को समर्पित चालीसा पाठ है, जिन्हें
खाटू श्याम बाबा के नाम से भी जाना जाता है। Jai Ho Sunder Shyam Hamare
चालीसा पाठ एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो भगवान श्याम की दिव्य ऊर्जा से
जुड़ने और आनंदमय और समृद्ध जीवन जीने का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद
करता है। यह चालीसा पाठ भगवान श्याम के प्रति भक्ति व्यक्त करने का सुंदर
मार्ग है। जय हो सुंदर श्याम हमारे चालीसा का भक्तिभाव के साथ पाठ करने से
भक्तों के
जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है, और भक्तों की इच्छा ओं
की पूर्ति होती है।
Jai Ho Sunder Shyam Hamare Lyrics
*श्री श्याम चालीसा*
जय हो सुंदर श्याम हमारे ,मोर मुकुट मणिमय हो धारे।
कानन के कुण्डल मन मोहे ,पित वस्त्र कटि बन्धन सोहे।
गल में सोहल सुन्दर माला ,सांवरी सुरत भुजा विशाला।
तुम हो तीन लोक के स्वामी ,घट घट के हो अन्तरयामी।
पद्य नाम विष्णु अवतारी ,अखिल भुवन के तुम रखवारी।
खाटू में प्रभु आप विराजे , दर्शन करत सकल दुःख भेजे।
रजत सिंहासन आप सोहते ,ऊपर कलशा स्वर्ण मोहते।
अगम अनूप अच्युत जगदीशा ,माधव सुर नर सुर पति ईशा।
बाजत नौबत शंख नगारे ,घण्टा झालर अति झनकारे।
माखन मिश्री भोग लगावे ,नित्य पुजारी चँवर ढुलावे।
जय जय कार होत जब भरी ,दुःख बिसरत सारे नर नारी।
जो कोई तुमको मन से ध्याता ,मन वांछित फल वो नर पाता।
जन मन गण अधिनायक तुम हो ,मधु मय अमृत वाणी तुम हो।
विद्या के भण्डार तुम्ही हो ,सब ग्रन्थन के सार तुम्ही हो।
आदि और अनादि तुम हो। कविजन की कविता में तुम हो।
नील गगन की ज्योति तुम हो ,सूरज चाँद सितारे तुम हो।
तुम हो एक अरु नाम अपरा ,कण कण में तुमरा बिस्तारा।
भक्तों के भगवान तुम्हीं हो ,निर्बल के बलवान तुम्हीं हो।
तुम हो श्यामदया के सागर ,हो अनन्त गुणों के आगर।
मन दॄढ राखि तुम्हें जो ध्यावे ,सकल पदारथ वो नर पावे।
तुम हो प्रिय भक्तों के प्यारे ,दीन दुखी जन के रखवारे।
पुत्र हिन जो तुम्हें मनावे ,निश्चय ही नर वो सुत पावे।
जय जय जय श्री श्याम बिहारी ,मैं जाऊं तुम पर बलिहारी।
जनम मरण सों मुक्ति दीजे ,चरण शरण मुझको रख लीजे।
प्रातः ऊठ जो तुम्हें मनावे ,चारि पदारथ वो नर पावे।
तुमने अधम अनोकों तारे ,मेरे तो प्रभु तुम्ही सहारे।
मैं हूं चाकर श्याम तुम्हारा ,दे दो मुझको तनिक सहारा।
कोढ़ी जन आवत जो द्वारे ,मिटे कोढ़ भागत दुःख सारे।
नयन हीन तुमरे ढिंग आवे ,पल में ज्योति मिले सुख पावे।
मैं मूरख अति ही खल कामी ,तुम जानत सब अन्तरयामी।
एक बार प्रभु दरसन दीजे ,यही कामना पूरण कीजे।
जब जब जनम प्रभु मैं पाऊं ,टब चरणों की भक्ति पाऊं।
मैं सेवक तुम स्वामी मेरे ,तुम हो पिता पुत्र हम तेरे।
मुझको पावन भक्ति दीजे ,क्षमा भूल सब मेरी कीजे।
पढे श्याम चालीसा जोई ,अन्तर में सुख पावे सोई।
सात पाठ जो इसका करता ,अन धन से भंडार है भरता।
जो चालीसा नित्य सुनावे ,भुत पिशाज निकट नहिं आवे।
सहस्त्र बार जी इसको गावहि ,निश्चय वो नर मुक्ति पावहि।
किसी रुप में तुमको ध्यावे ,मन चीते फल वो नर पावे।
"नन्द" बसो हिरदय प्रभु मेरे ,राखो लाज शरण मैं तेरे।।
।। श्री श्याम चालीसा समाप्त ।।
कानन के कुण्डल मन मोहे ,पित वस्त्र कटि बन्धन सोहे।
गल में सोहल सुन्दर माला ,सांवरी सुरत भुजा विशाला।
तुम हो तीन लोक के स्वामी ,घट घट के हो अन्तरयामी।
पद्य नाम विष्णु अवतारी ,अखिल भुवन के तुम रखवारी।
खाटू में प्रभु आप विराजे , दर्शन करत सकल दुःख भेजे।
रजत सिंहासन आप सोहते ,ऊपर कलशा स्वर्ण मोहते।
अगम अनूप अच्युत जगदीशा ,माधव सुर नर सुर पति ईशा।
बाजत नौबत शंख नगारे ,घण्टा झालर अति झनकारे।
माखन मिश्री भोग लगावे ,नित्य पुजारी चँवर ढुलावे।
जय जय कार होत जब भरी ,दुःख बिसरत सारे नर नारी।
जो कोई तुमको मन से ध्याता ,मन वांछित फल वो नर पाता।
जन मन गण अधिनायक तुम हो ,मधु मय अमृत वाणी तुम हो।
विद्या के भण्डार तुम्ही हो ,सब ग्रन्थन के सार तुम्ही हो।
आदि और अनादि तुम हो। कविजन की कविता में तुम हो।
नील गगन की ज्योति तुम हो ,सूरज चाँद सितारे तुम हो।
तुम हो एक अरु नाम अपरा ,कण कण में तुमरा बिस्तारा।
भक्तों के भगवान तुम्हीं हो ,निर्बल के बलवान तुम्हीं हो।
तुम हो श्यामदया के सागर ,हो अनन्त गुणों के आगर।
मन दॄढ राखि तुम्हें जो ध्यावे ,सकल पदारथ वो नर पावे।
तुम हो प्रिय भक्तों के प्यारे ,दीन दुखी जन के रखवारे।
पुत्र हिन जो तुम्हें मनावे ,निश्चय ही नर वो सुत पावे।
जय जय जय श्री श्याम बिहारी ,मैं जाऊं तुम पर बलिहारी।
जनम मरण सों मुक्ति दीजे ,चरण शरण मुझको रख लीजे।
प्रातः ऊठ जो तुम्हें मनावे ,चारि पदारथ वो नर पावे।
तुमने अधम अनोकों तारे ,मेरे तो प्रभु तुम्ही सहारे।
मैं हूं चाकर श्याम तुम्हारा ,दे दो मुझको तनिक सहारा।
कोढ़ी जन आवत जो द्वारे ,मिटे कोढ़ भागत दुःख सारे।
नयन हीन तुमरे ढिंग आवे ,पल में ज्योति मिले सुख पावे।
मैं मूरख अति ही खल कामी ,तुम जानत सब अन्तरयामी।
एक बार प्रभु दरसन दीजे ,यही कामना पूरण कीजे।
जब जब जनम प्रभु मैं पाऊं ,टब चरणों की भक्ति पाऊं।
मैं सेवक तुम स्वामी मेरे ,तुम हो पिता पुत्र हम तेरे।
मुझको पावन भक्ति दीजे ,क्षमा भूल सब मेरी कीजे।
पढे श्याम चालीसा जोई ,अन्तर में सुख पावे सोई।
सात पाठ जो इसका करता ,अन धन से भंडार है भरता।
जो चालीसा नित्य सुनावे ,भुत पिशाज निकट नहिं आवे।
सहस्त्र बार जी इसको गावहि ,निश्चय वो नर मुक्ति पावहि।
किसी रुप में तुमको ध्यावे ,मन चीते फल वो नर पावे।
"नन्द" बसो हिरदय प्रभु मेरे ,राखो लाज शरण मैं तेरे।।
।। श्री श्याम चालीसा समाप्त ।।
Jai Ho Sunder Shyam Hamare Video
आपने अभी "जय हो सुंदर श्याम हमारे" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक चालीसा से सबंधित अन्य देवतावों की चालीसा निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन चालीसा को भी देखें.
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