Shri Ramayanji Ki Aarti-श्री रामायणजी की आरती
श्री रामायण जी की आरती को भक्तिपूर्वक पाठ करने से श्री राम भगवान की कृपा प्राप्ति होती है और हमें उनके आदर्शों पर चलनेकी प्रेरणा मिलती है। Shri Ramayanji Ki Aarti में प्रभु श्री राम भगवान की महिमा, गन, और उनके आदर्शों की प्रशंसा की गई है।
इस आरती को भक्ति पूर्वक गाकर भक्त दीर्घायु की कामना करतें हैं और उनकी पूजा कर प्रतिदिन की जिंदगी में अपने बुराइयों को दूर करने की प्रार्थना करते है।श्री रामायणजी का पाठ भक्तो द्वारा पुरे श्रद्धा और आत्मिकता के साथ किया जाता है। रामायण जी की पूजा पुरे भक्ति भावके साथ करनेसे उनकी कृपा हमारे ऊपर सदा बानी रहती हैं।
Shri Ramayanji Ki Aarti Lyrics
आरती श्रीरामायनजी की।
कीरती कलित ललित सिय पी की।।
गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद।
बालमीक बिग्यान बिसारद।।
सुक सनकादि सेष अरु सारद।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी।।१।।
गावत बेद पुरान अष्टदस।
छओ सास्त्र सब ग्रंथन को रस।।
मुनि जन धन संतन को सरबस।
सार अंस संमत सबही की।।२।।
गावत संतत संभु भवानी।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी।।
ब्यास आदि करबिबर्ज बखानी।
कागभुसुंडि गरुड के ही की।।३।।
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।।
दलन रोग भव मुरि अमी की।
तात मात सब बिधि तुलसी की।।४।।
Shri Ramayanji Ki Aarti Video
आपने अभी "श्री रामायणजी की आरती" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक आरती से सबंधित अन्य आरतीया निचे दि गई हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन आरतियो को भी देखें.
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