Mangal Bhavan Amangal Hari-मंगल भवन अमंगल हारी
Mangal Bhavan Amangal Hari Lyrics
मंगल भवन अमंगल हारी। द्रव हुष दशरथ अजर बिहारी।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम -२ ।।टेक।।
होई है वही जो राम रची राखा।
को करे तर्क बढ़ावे साधा।।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम -२ ।।१।।
धीरज, धर्म, मित्र, अरुनारी।
आफतकाल परखिये चारी।।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम -२ ।।२।।
जेही के जेही पर सत्य सनेहुँ।
सो तेही मिलही ना कछु संदेहुँ।।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम -२ ।।३।।
जाकी रही भावना जैसी।
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम -२ ।।४।।
रघुकुल रीत सदा चली आई।
प्राण जाये पर वचन ना जाई।।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम -२ ।।५।।
हरी अनंत हरी कथा अनंता।
कही सुनही बहु विधी सब संता।।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम -२ ।।६।।
Mangal Bhavan Amangal Hari Video
*जय श्री राम*
आपने अभी भजन "मंगल भवन अमंगल हारी" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक भजन से सबंधित अन्य भजन निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन भजनों को भी देखें.
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