Krishna Kanhaiya ka Bansi Bajaiya ka-कृष्ण कन्हैया का बंसी बजैया का
Krishna Kanhaiya ka Bansi Bajaiya ka Lyrics
(तर्ज :तुझ को रिझाउँगा )
कृष्ण कन्हैया का, बंशी बजैया का
नन्द के लाले का, ब्रज के गुवाले का
नौकर खुद को मान, मालिक अपना कान्हाँ
ऐसा मालिक और नहीं है, इसकी दया का छोर नहीं है
मन चाही तनखा देता है, सुख सुविधा पूरी देता है
दर पे बुलाता है, प्रेम लुटाता है
अपनी सेवा का मौका, हमको दे जाता है
हमसे नहीं अनजान मालिक अपना कान्हाँ ....(१)
ऐसी सेवा दी है मुझ को, भाए जो मेरे तन मन को
आज सराहूँ मैं किस्मत को, चाकर बन गयो जनम जनम को
काम रिझाने का, भजन सुनाने का
मेरी भी बढ़ गई शान मालिक अपना कान्हाँ .... (२)
जब भी कोई आफत घेरे, श्याम प्रभु हर कष्ट नमेड़े
बोल रहे हैं कान में मेरे, देख खड़ा मैं पास में तेरे
धीर बन्धाता है, यूँ फरमाता है
'भक्त ' तूं मेरा बनके, क्यूँ घबरता है
होता सदा कल्याण मालिक अपना कान्हाँ .... (३)
*खाटू नरेश की जय *
आपने अभी भजन "कृष्ण कन्हैया का बंसी बजैया का" के बोल (Lyrics) इस लेख में देखे हैं, इस भक्तिपूर्ण और आध्यात्मिक भजन से सबंधित अन्य भजन निचे दिये गये हैं जो आपको अवश्य ही पसंद आयेगे, कृपया करके इन भजनों को भी देखें.
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